डोमेन्स
इरी टेबल बाउल सिंड्रोम वाले लोगों को सेक्सी रिफ्लेक्स ज्यादा होता है।
डॉ श्रीहरि अनिखंडी कहते हैं कि इसे आसानी से खत्म किया जा सकता है।
प्रत्येक भोजन के बाद पॉटी करना: पेट का हेल्दी होना जीवन के लिए बहुत जरूरी है। पेट अगर हेल्दी नहीं है तो हमें कई ब्रोक्स का सामना करना पड़ता है। सुबह-सुबह शौच एक सहज प्रक्रिया है, लेकिन कुछ लोग जितना बार खाना खाते हैं उससे कहीं अधिक बार उन्हें शौचालय जाने की आवश्यकता होती है। यह बहुत मुश्किल पल हो जाता है क्योंकि दिन में लोग दो तीन बार खाने के खाते ही होते हैं और हर बार यदि किसी को शौचालय जाना पड़ता है तो यह कितनी मुश्किल घड़ी हो सकती है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
डॉक्टर का कहना है कि टॉयलेट जाने की बीमारी को तुरंत खाना खाने के बाद हाइड्रोलिक रिफ्लेक्स (गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स) कहते हैं। तनावग्रस्तता के अधिकांश मामले लाइफस्टाइल से जुड़े हुए हैं। इसलिए यदि जीवनशैली में हेल्दी बदलाव आया तो इस बीमारी को जल्दी दूर किया जा सकता है।
क्यों भोजन के बाद शौच की तलब कंपन
सर गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइंटोलॉजी एंड पेनक्रिएटिक बिलीयरी बिजनेस के कंसल्टेंट डॉ। श्रीहरि अनिखंडी (डॉ. श्रीहरि अनिखिंदी) कहते हैं कि भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों की प्राप्ति के बाद इसे निकालने के लिए कुदरत ने पेट में सहज प्रक्रिया विकसित कर रखी है। इसके तहत भोजन से बने अपशिष्ट पदार्थ (अवशेष) को निकालने के लिए पूरे आहार में नालों में एक इलेक्ट्रिक वे पैदा होती है। यह वेव्स जब रिफ्लेक्स होता है तब पूरे आहार में एक हलचल होती है। इसके बाद मनुष्य को शौच जाने की तलब होती है। इससे अपशिष्ट पदार्थों कोलोन तक 8 मीटर की यात्रा तय होती है। यह कुदरती रूप से एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन कुछ लोगों में यह रिफ्लेक्स बहुत अधिक सक्रिय हो जाता है। इसके कारण खाने के बाद पेट में ओवरसेंसेटिव मूवमेंट तेज हो जाता है और व्यक्ति को तुरंत शौच जाने की आवश्यकता हो जाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं।
अतिसंवेदनशील रिफ्लेक्स के कारण
डॉ श्रीहरि अनिखिंदी ने बताया कि जिन लोगों में एंग्जाइटी लेवल बहुत ज्यादा है या उनमें से कुछ आतुरता ज्यादा हो जाती है, उनमें यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा इरी टेबल बाउल सिंड्रोम वाले लोगों को भी सेक्सी रिफ्लेक्स अधिक होता है। दरअसल, इन लोगों की व्यापक बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। इन लोगों में स्ट्रेस बहुत कॉमन होता है। वहीं अनहेल्दी लाइफस्टाइल भी इसके लिए जिम्मेदार है। इसके साथ ही कुछ अंदरूनी बीमारियों के कारण भी अतिसंवेदनशीलता बीमारी अर्थात भोजन के बाद शौच जाने की बीमारी होती है। इसमें इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (सूजन आंत्र रोग), सिलिया, निशान, खाद्य एलर्जी, इंटेस्टाइन का इंफेक्शन आदि भी जिम्मेदार हो सकते हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में आईबीएम जैसे सामान्य कारण होते हैं। यह बहुत बड़ी बीमारी नहीं है, इसे कुछ बदलाव के साथ ठीक किया जा सकता है। डॉ अनिखंडी ने बताया कि कुछ लोगों में यह धारणा होती है कि भोजन के तुरंत बाद शौच जाने की आवश्यकता होती है तो भोजन बिना पचे बाहर निकल आता है। लेकिन ऐसा नहीं है। जो अपशिष्ट पदार्थ बाहर आता है वह एक दिन पहले रहता है। क्योंकि 18-24 घंटे के बाद ही खाना बाहर निकल जाता है।
इस बीमारी को कैसे खत्म करें
डॉ श्रीहरि अनिखंडी कहते हैं कि इसे आसानी से खत्म किया जा सकता है। इसके लिए आपको इसके चारों ओर फैलाना होगा। अगर बहुत दिनों से आपको जकड़न की बीमारी है तो सबसे पहले आप एक बार में ज्यादा हावी हो जाते हैं। थोड़ा-थोड़ा कर सुधार। वहीं इस बीमारी में दूध लेना पूरी तरह से बंद कर दें। इसके अलावा तनाव को सबसे पहले खत्म करें। इसके लिए प्रतिदिन व्यायाम, योगा, ध्यान करें। स्वेच्छा से काम करने वाली काम, दूध, शराब, धूम्रपान अधिक मीठा का सेवन नहीं करना चाहिए। आमतौर पर जीवनशैली में बदलाव कर इसे सही किया जा सकता है। लेकिन अगर खाना खाने के बाद 4-5 बार शौचालय बन रहा है, दस्त की तरह हो रहा है, भूख कम लग रही है, वजन कम हो रहा है, मल में खून आ रहा है तो ये सब खतरनाक संकेत हैं, इसके लिए ठीक डॉक्टर से मिलें। दवाई के बाद बहुत जल्दी आराम मिल जाएगा।
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पहले प्रकाशित : 20 फरवरी, 2023, 14:16 IST