आदमी गलती से भोजन नली में अटकी अक्षुण्ण गोली निगल गया सर गंगा राम डॉ श्रीहरि अनिखिंदी ने खतरनाक बाहरी पदार्थ को सफलतापूर्वक निकाल दिया


डोमेन्स

60 साल के एक व्यक्ति ने कवर सहित टैबलेट को नीचा दिखाया था जो कि फूड पाइप में कसकर फंस गया था
डॉक्टर की सूझ ने बिना सर्जरी धारधार कवर को निकाल दिया

डॉ श्रीहरि अनिखिंदी ने अन्नप्रणाली से इंटैक्ट टैबलेट को निकाला: अक्सर आपने सुना होगा कि बच्चे ने सिसक निकल लिया या कंचे नीचा लिया लेकिन क्या आपने कभी किसी एडल्ट इंसान को कवर टैबलेट देखा या सुना है। अपनी तरह के नायाब एक मामले में 61 साल के बुजुर्ग ने ऐसा ही किया। घातक बात यह थी कि व्यक्ति ने जो कवर सहित टैबलेट नीचा किया वह बहुत ही धारधारा था। वाई टैबलेट के कवर को इस तरह से काटा गया था कि उसके किनारे ब्लेड की तरह धारदार हो गए थे। वह भी खाद्य पाइप के एकदम किनारे पर ऐसी जगह फँसा हुआ था कि पता नहीं चल रहा था। वह सीने में दर्द से छटपटाता हुआ अस्पताल में आ गया। लेकिन किस्मत अच्छी थी कि अस्पताल के विशेषज्ञ क्लाइंट संबद्ध डॉ. श्रीहरि अनिखंडी ने इस कवर सहित टैबलेट को बहुत ही सूझ से निकाल दिया।

हालांकि यह टैबलेट वहां से जहां फंसा हुआ था, अगर इसे और माइक्रोस्कोप के जरिए टूल के माध्यम से लगाया गया तो फूड पाइप में चीरा लगने का डर था। तब मामला और भी गंभीर हो जाता है और बिना सर्जरी के इसे निकालना नामुमकिन हो जाता है लेकिन डॉ. अनिखंडी ने टैबलेट का एक नायाब खुलासा किया और पहले कवर को पंक्चर कर को गलेया। यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें किसी एडल्ट के फूड पाइप में जूती टैवलेट के कवर में बिना सर्जरी के निकल गई।

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क्या था पूरा मामला
सर गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइंटोलॉजी एंड पेनक्रिएटिक बिलीयरी बिजनेस के कंसल्टेंट डॉ। श्रीहरि अनिखिंदी (डॉ. श्रीहरि अनिखिंद) ने बताया कि 61 साल के एक बुजुर्ग इमरजेंसी में भर्ती हुए हैं। उन्हें सीन में बहुत तेज दर्द हो रहा था। पूछताछ पर पता चला कि उन्होंने गलती से कवर सहित टैबलेट को नीचा दिखाया। इसके बाद उसे कुछ भी नीचा नहीं दिखाया जा रहा था। उसे ठिकाने भी नीचा नहीं दिखाया जा रहा था। टैबलेट का कवर एल्यूमुनियम ब्लिस्टर की पन्नी से बना था। यह बहुत ही तेज है। यह किसी की उंगली को भी काट सकता था। इसका नामकरण किया गया था। इस जटिल स्थिति में तुरंत और स्कैन किया गया। लेकिन इस टैबलेट को देखकर काफी हैरानी हुई है क्योंकि यह ऐसी जगह फंस गया था जहां फूड पाइप या एस्फेगस में बहुत ही हानिकारक जगह है। आहार पाइप के ऊपर के एक कोने में बहुत ही तंग जगह पर टैबलेट जुड़ा हुआ था, जहां से यह थोड़ा भी दुर्घटना-उथरा जाता है तो फूड पाइप में सबसे पहले चीरा लग जाता है। वहां और माइक्रोस्कोप की पाइप के घुसने की जगह नहीं पा रही थी।

फिर बिना सर्जरी की परेशानी

डॉ श्रीहरि अनिइंडी ने बताया कि टैबलेट को निकालने में परेशानी होती थी अगर हम इसे एंडोस्कोपी की मदद से विशेष उपकरण का उपयोग कर नीचे या उपर के माध्यम से पाइप में पूरी तरह से चीरा लग सकता था। इसलिए हमने इसे यूनिक तरीके से निकालने की योजना बनाई। सबसे पहले कवर को एक विशेष सुई की सहायता से छोड़ दिया गया। वी के कवर में छेद हो गया है. इसके बाद वहां तुरंत पानी की गति से फ्लश कर दिया। यानी सलाइन के माध्यम से पानी छोड़ दिया। इससे संबंधित ब्लिस्टर जो टैबलेट के अंदर गिर गया था, वह कुछ ही समय में गले लगा और पेट के अंदर आ गया। जब टैबलेट का कंटेटें गल गया तो आप अपने छोटे सॉफ्ट हो गए। अब हम रैप्टर को क्रश करने की स्थिति में आ गए।

अब एंडोस्कोपी में एक विशेष कैप होता है जिसे ई ब्रॉड कैप (एंडोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन ईएमआर) कहते हैं। इसे एंडोस्कोपी के अंत में लगाया गया है और यह दूसरा काम है। लेकिन हमने इस ई-ब्राड की मदद से इस कवर को क्रश किया और पेट के अंदर धुंधला कर दिया। यानी दवा जिस मकसद से खाया गया था, अब वो भी पूरा हो गया और कवर भी तोड़कर निकल गए। डॉ अनिखंडी ने बताया कि संयोग की बात यह है कि कुछ ही दिनों में इस तरह के दो मामले सामने आए और दोनों तरह से स्वस्थ्य होकर यहां से चले गए।

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